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जरुरी है जम्मू में लगी आग को बुझाने की कोशिश !

सीधी बात
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अमरनाथ यात्रा शुरू होने के साथ ही कश्मीर की घाटी में जो आग की लपटें उठनी शुरू हो जाती है | अलगाववादी
ताकतें पूरी तैयारी के साथ इस राज्य की मासूम जनता को सामने रख कर हिंसा और तोड़ -फोड़ का जो खेल खेलना
शुरू कर देती है उस पर समय रहते रोक क्यों नहीं लग पाता ? मामला शीशे की तरह साफ है राजनीतिक पद पा जाना
और उस पद की जिम्मेदारियों को समझ कर दृढ इच्छा शक्ति के साथ समस्याओ का समाधान करना दो अलग बात है
जम्मू के हालत और अन्य राज्यों के हालत में जो मूलभूत अंतर है उसके बारे में सिर्फ इतना कहना है कि कुछ तो प्रकृति की मेहरबानी और कुछ आये दिन घाटी में चल रहे उथल -पुथल के कारण रोजमर्रा के जरुरी जरुरत को पूरा कर पाना आम कश्मीरी के लिए बहुत मुश्किल होता है तो ऐसे में लगभग दो महीनों से चल रहे इस बंद ,हिंसा और कर्फ्यू का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है एक युवा और जोश से से भरे जम्मू के मुख्यमंत्री उमरअब्दुल्ला के पास भले ही अपने राज्य को विकास के रास्तेपर ले जाने के लिए ढेर सारी योजनायें हो मगर सच तो यह है कि वे मूल रूप से कश्मीर की अवाम से नहीं जुड़ पा रहे उसमें कभी उनकी भाषा आड़े आ रही है तो कभी उनका अहं इसलिए जरुरी है कि इस समय वे अपने अनुभवी पिता की राय ले कर तथा अपनी विरोधी पार्टियों को साथ ले कर कश्मीरी जनता से सीधे संवाद कायम करे केंद्र ने बहुत ज्यादा सहूलियत दी है उसका फायदा उठाना सीखे दिल्ली में बैठ कर जम्मू की आग को नहीं बुझाया जा सकता

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