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वो अल्हड लड़की (कविता )

सीधी बात
सीधी बात
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किताबें और कहानी पढ़ती लड़की

गीतों में रंग भर कर गुनगुनाती

चमकीली आँखों में सतरंगे सपने बुनती

कभी हंसती ,कभी गुमसुम सी हो जाती

अल्हड नदी सी चाल वाली लड़की

कभी गुनगुनी धूप सी उजली

कभी कुहरे में लिपटी मुस्कान वाली लड़की

लगता है शहर की भीड़ में कही खो गयी

अब नहीं दिखती झील सी आंख वाली लड़की

पत्थरों के इस शहर में खुद कही

बुत तो नहीं बन गयी वो जिंदादिल लड़की

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