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“सौन्दर्य बिके बाजार में ,लिए कॉस्मेटिक्स हाथ !!”

सीधी बात
सीधी बात
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उस दिन रस्ते में टीना मिल गयी ,कहने लगी आप घर कभी आओ न उसके बेटे को चूँकि मै पढ़ाती थी इस लिए टीना से अच्छी पटती है मैंने कहाँ फुर्सत में कभी आती हूँ कुछ दिनों के बाद जब मै उसके घर गयी बात -चीत के दौरान उसने ढेर सारे कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट जाने किस कंम्पनी का मेरे सामने रख दिया ” आप इसे इस्तेमाल कीजिये ,इसमें जरा भी केमिकल नहीं है हर्बल जड़ी -बूटियों से बना हुआ है एक महीने तक लगातार अगर लगाती रही तो स्किन ग्लो करने लगता है !” मैंने कहा माफ़ करो टीना ! “मै जैसी भी हूँ ठीक हूँ कौन सा मुझे ब्यूटी -क्वीन का ख़िताब लेना है !” फिर बात आई -गई हो गयी |
एक दिन सोसायटी में सिंह साहब की पार्टी में मिसेज मुखर्जी मिल गयी देखते ही बोली “ओ मां कितनी दिन बाद दिखी तू ,क्या हो गया तुझे चेहरा तेरा डल लग रहा है !” मैंने कहा नहीं भाई मै तो ठीक -ठाक हूँ मगर वो कहाँ मानने वाली कहने लगी मेरी बेटी ने एजेंसी ले रखी फलां कम्पनी की उसमे इतने अच्छे -अच्छे क्रीम है की लगा कर देखो ! उनसे तो मैंने पीछा छुड़ा लिया मगर डर भी लगने लगा हे भगवान ! क्या मै सच -मुच इतनी खराब दिखने लगी कि जिसे देखो वही मुझे ब्यूटी प्राडक्ट बेचने को परेशान है |
हद तो उस दिन हो गयी जब कि मिसेज शेट्टी मेरे पास आकर एक क्रीम की खूबियाँ गिनाने लगी इसके प्रयोग से यह फायदा वह फायदा गिनाने लगी मैंने हाथ जोड़ कर कहा मै इन सभी कॉस्मेटिक्स प्राडक्ट बिलकुल नहीं यूज करती आप अपनी दुकान कही और ले जाइये !! मगर लोगो को जितना सुंदर दिखने की चाहत बढ़ रही उसी का फायदा आखिर दुनिया भर की कम्पनियां उठा रही है ,माना सुन्दर दिखना इंसानी फितरत है तरह -तरह के ड्रेस ,एसेसरीज फैशन पूरे व्यक्तित्व को नया लुक देते है स्कुल ,कालेज ,आफिस ,पार्टी ,शादी -ब्याह सभी जगह हर कोई ज्यादा से ज्यादा अच्छे ढंग से तैयार हो कर जाना चाहता है मगर वक्त ज्यो -ज्यो बढ़ता है उम्र बढती है तब पूरी पर्सनाल्टी में एक गंभीरता आती है | मगर कोई भी क्रीम या ब्यूटी प्राडक्ट आप को फिर से यंग नहीं बना सकता मगर हाय रे !बाजारवाद विज्ञापनों के जरिये रातो -रात सुन्दर बना देने का इनका दावा कही न कही मनोवैज्ञानिक असर डालता है और लोग खरीदते भी खूब है |
समझ में नहीं आता कि पुराने -ज़माने में दादी और नानी लोग कौन सा ब्यूटी पार्लर जाती थी बड़े -बड़े परिवारों में इतना काम रहता था कि दिन भर पूरे धैर्य और संतोष के साथ एक सेवा और दूसरो के दुःख दर्द को समझने का प्रयास सभी प्राणी मात्र में जीवात्मा का अंश मान
कर दया ,करुना तथा प्यार और ममता लुटाने की भावना परिवार के हर सदस्य के चेहरे को देख कर उसके परेशनियो को भांप लेने की खूबी उनके आन्तरिक सौन्दर्य को बढा देती थी जो उनके चेहरे पर दीखता था अब समय बदल गया है राग ,द्वेष ,इर्ष्या एक दूसरे को पीछे छोड़ कर आगे निकलने की होड़ ने नारी सुलभ आकर्षण को कम कर दिया है रही सही कसर टीवी पर बढती अभद्र भाषा का प्रयोग ,अश्लीलता और भौंडेपन को सौन्दर्य के दायरे में लाने की कवायद ने भारतीय सौन्दर्य की परिभाषा ही मानो बदल दी है | जो कुदरती तौर पर सुन्दर है वो तो सुन्दर रहेगा ही बहुत पीछे न जाकर टीवी पर चलने वाले “झलक दिखला जा ” प्रोग्राम की जज बनी माधुरी दीक्षित इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है |

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