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नारी मन के कुशल चितेरे – प्रेमचंद की कहानी – मिस पद्मा !

सीधी बात
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हिंदी साहित्य के कुशल चितेरे में फिर से मुंशी प्रेम चंद की एक कहानी को अपनी लेखनी का आधार बनाने का एकमात्र कारण उनकी यह कहानी इसलिए प्रभावशाली लगी क्योंकि उन्होंने मिस पद्मा के माध्यम से एक नारी की आत्मनिर्भरता और स्वछंदता के बीच के अंतर की अस्पष्टता को दर्शाने की कोशिश की जोकि वर्तमान समय में भी बेहद प्रासंगिक है |
दरअसल यह कहानी है पद्मा नामकी उस सुंदर युवा लड़की की जो धनी है , सुंदर है युवा और पढ़ी -लिखी है जैसा कि होता है पढाई -लिखाई के बाद अपने पैरो पर खड़े होने का सुख आत्मविश्वास भरता है किसी भी लड़की के अंदर जाहिर है पद्मा ने वकालत की शिक्षा ली थी और चूँकि अर्थशास्त्र का सामान्य सिद्वांत है की किसी भी वस्तु की कमी उस वस्तु की कीमत को बढ़ा देती है उस दौर में शिक्षा सभी को सुलभ नहीं थी इसलिए पद्मा के अंदर अहंकार का आना स्वभाविक था फिर क्या जैसा की युवा पीढ़ी एक फैसला ले लेती है आधुनिक बनने का अर्थ है अविवाहित रहने का फैसला !
पद्मा के विवाह न करने का फैसला नितांत निजी था यहाँ किसी को भी दोष न देते हुए मुंशी जी ने शादी -ब्याह को एक अनिवार्य आवश्यकता पर जोर दिया है क्योकि पद्मा सुंदर थी युवा थी और पैसेवाली थी यार -दोस्तों की कमी नहीं थी माता -पिता ने लाख समझाया अपनी पसंद के मित्र से शादी करने की भी अनुमति दे दी मगर पद्मा का फैसला तो पत्थर की लकीर , नहीं तो नहीं! फिर पद्मा अकेले रहने लगी दिन बीतने लगे प्रसाद नामके एक सहमित्र ने पद्मा से शादी की इच्छा जताई तो पद्मा ने शादी से इंकार करते हुए बिना किसी बंधन के अपने साथ रहने की अनुमति दे दी प्रसाद जैसे दिलफेंक युवा को और क्या चाहिए था ? साथ रहने लगे बेशुमार दौलत ,एक सुन्दरी का साथ ! सबकुछ मिला कर ठीक ही चल रहा था अब प्रसाद रात में देर में आना शुरू कर चुका था एक दिन पद्मा के टोकने पर उसे टका सा जवाब मिल गया “तुम मेरी पत्नी नहीं हो ! ” सडाक????? जैसे किसी ने चाबुक मार दिया हो पद्मा आसमान से फर्श पर गिर पड़ी , इस समय उसे प्रसाद के सहारे की जरूरत थी क्योकि वह माँ बनाने वाली थी |
रात भर में उसने निश्चय कर लिया था कि अब उसे इस व्यक्ति को छोड़कर अकेले ही रहना है अपने बच्चे के साथ दूसरे दिन बैंक जा कर उसने पैसा निकालना चाहा मगर पता चला कि प्रसाद ने उसका अकाउंट से सारे पैसे पहले ही निकाल लिए ! लुटी -पिटी मिस पद्मा अपनी कोठी के गेट पर खड़ी दूर रिक्शे में बैठे उस अंग्रेज दंम्पत्ति को देखा जो अपने बच्चे पर प्यार लुटा रहे थे
इस कहानी में मुझे जो बात सबसे अलग लगी कि हर लड़की और महिला को आत्मनिर्भर तथा शिक्षित होना चाहिए , मगर जो एक नियम बना है जो कि भारतीय संस्कृति का आधार है ,जीवन के हर अवस्था को जीने की कोशिश करनी चाहिए , शादी एक धार्मिक और सामाजिक बंधन है जहाँ सिर्फ दो आत्माए ही नहीं दो परिवार भी मिलते है हम जिस समाज में रहते है वहां बहुत कुछ टूट कर बिखर रहा है मगर शादी जैसे रिश्ते की अहमियत आज के दौर में भी बनी हुयी है |

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