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अमेरिका ने पूरी तरह से कूटनीतिक और राजनीतिक लड़ाई लड़ते हुए 9 / 11 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकवादी हमले को अपनी संप्रभुता ( sovreignty) से जोड़ते हुए आख़िरकार दस साल बाद ही सही आतंकवाद के खलनायक को पूरे छल -बल और रणनीति के तहत पाकिस्तान के आर्मी फ़ोर्स के बीच में अपने को महफूज मान बैठे हुए ओसामा को मार गिराया | किसी भी उस देश के लिए जो अपनी सत्ता की ताकत को दिखाना चाहते है उनके लिए यह जरुरी हो जाता कि पूरी दुनिया में शक्तिशाली बनने के लिए मात्र आर्थिक सम्पन्नता ही नही , राजनीतिक और सैनिक ताकत का प्रदर्शन भी जरुरी है यही राजनीतिहै और यही कूटनीति भी है अमेरिका ने वह कर दिखाया मगर यही प्रश्न उठता है कि अमेरिका के इस दोहरे चरित्र को आखिर भारत क्यों नहीं देख पाता है ? पाकिस्तान कि धरती पर आतंकवाद पनप रहा है यह जानते हुए भी अमेरिका जिस तरह से इस देश को आर्थिक मदद दिए जा रहा है वह न सिर्फ भारत वरन पूरे एशिया महाद्वीप के लिए बेहद खतरनाक है क्योकि वह पाकिस्तान को एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है
बहरहाल यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक है और दो देशो के बीच का है मगर “आतंकवाद ” को ले कर भारत क्या सोचता है बात इस पर चर्चा की जानी चाहिए आतंकवाद कोई धर्म नहीं, व्यक्ति नहीं , सम्प्रदाय नहीं यह एक विचारधारा है | हर वह एक विचार गलत है जो देश को रसातल में ले जाये , फिर उस विचारधारा का समर्थन हम क्यों करे जूझना इस विचार से है सबसे बड़ी बात जब तक “वोट बैक” की राजनीति चलती रहेगी जाति ,धर्म ,क्षेत्र और भाषा के आधार पर राजनीतिक ताकते इस देश को बाटती रहेंगी एक आतंकवादी मारा जाता है और जब तक उस शख्स के बारे में कुछ भी बाते सामने आए तुरंत उसके पैरोकार खड़े हो जायेंगे उस पर से इलेक्ट्रानिकमीडिया फटाफट रिपोर्टिंग शुरू कर देंगी इन सब बातो का क्या मतलब ? आतंकवादी के पकड़े जाने पर पहले पूरी तरह से जाँच -पड़ताल हो जाने पर ही इस मसले पर चर्चा की जानी चाहिए |
अब सिर्फ एक नीति भारत तय करे की अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए देश के आत्मसम्मान को गिरवी न रखे और वे नीति है की भारत को आतंकवाद से यदि लड़ाई करनी है तो इस पर अपना रुख साफ करे बहुत दूर जाने की जरुरत नहीं है मुंबई हमले में पकड़े गये आतंकवादी कसाब को सरकारी मेहमान बना कर क्यों रखा जा रहा है ? देश का करोड़ो रुपया खर्च हो रहा है जिस देश में किसान आत्महत्या कर रहे है लोग भूखो मर रहे है वहां आतंकवादी को संरक्षण देने का क्या मतलब ?
दूसरी बात हमारे पास स्वविवेक है हम निर्णय ले सकते है कि आतंकवाद को पालने तथा पोसने वाले देश के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाये अब समय आ गया है कि भारत गोल -मोल जवाब न देते हुए आतंकवाद पर अपने लड़ाई को एक मूर्त रूप दे अपनी स्थिति तथा रुख स्पष्ट करे |
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