Menu
blogid : 1448 postid : 135

माँ की भूमिका

सीधी बात
सीधी बात
  • 103 Posts
  • 764 Comments

माँ एक खूबसूरत शब्द जिसे याद करते ही ममता से भरा एक चेहरा सामने आ जाता है ,प्यार करती हुयी माँ ,दुलार करती हुयी माँ जैसे हर बच्चे को अपनी माँ दुनिया की सबसे ज्यादा प्यार करने वाली माँ लगती है वैसे ही हर माँ को अपना बच्चा दुनिया का सबसे अच्छा बच्चा लगता है मगर इस प्यार दुलार के बीच जो बात सबसे जरूरी है वे है एक बच्चे के अंदर वे कौन सी आदते डाली जाये जिससे आगे चल कर वे सही मायनो में देश का अच्छा नागरिक और अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सफल व्यक्ति बन सके जो वक्त आने पर अपने देश का कर्ज अदा करने में जरा भी न झिझके अगर हम अपनी आत्ममुग्धता के दायरे से बाहर निकले जैसा की हमारी सोच संकुचित होती जा रही है हमारे लिए हमारी माँ ने क्या किया इससे ज्यादा हम सोच नही पाते है अगर इतने ही माँ -भक्त होते है तो शादी ब्याह होते ही अपनी माँ में सारी कमियां क्यों नजर आने लगती है ? वे अपने ही घर में एक कोने में क्यों धकेल दी जाती है ? इसमें गलती किसी एक की नही है अब हर माँ थोड़ी स्वार्थी हो चुकी है उसे लगता है बच्चे के भविष्य की तैयारी में परिवार आड़े आ रहा है गर्मियों की छुट्टी में परिवारों का इकट्ठा होने के नाम पर कोचिंग ,ट्यूशन का राग आलाप कर रिश्तेदारों से कन्नी कटाने का प्रचलन बढ़ गया है नतीजन बच्चे भी वही सीख रहे है वे जहाँ थोड़े बड़े होने लगते है अपने घर परिवारों के बीच उठने -बैठने की जगह अपने को व्यस्त रखने का दिखावा करने में लग जाते है यही आदत बड़े होते ही एक अच्छी नौकरी पाते ही या डाक्टर ,इंजीनियर बनते ही विदेश भागने का मौका खोज कर मिल जाता है | यहाँ रह जाते है अकेले अपने बुढ़ापे को कोसते हुए उनके माता -पिता ऐसा नही की सभी घरो में ऐसा ही हो रहा है मगर इस तरह से हमारा समाज ,परिवार सभी टूट कर बिखर रहा है अगर हम अपनी संस्कृति को या टूटते हुए घरो को बचाना चाहते है तो पहले अपने परिवार और उससे जुड़े रिश्ते को महत्त्व देना होगा मौसी ,मामा और नाना ,नानी के साथ बुआ ,चाचा दादी और दादा सभी को बराबरी से सम्मान देना होगा |
इसके बाद बारी आती है अपने देश के प्रति कुर्बान होने की नही मगर अपने देश के प्रति सम्मान की भावना रखे जाने की आखिर एक माँ ही अपने बच्चो में अच्छी आदते डाल सकती देश के प्रति प्रेम की भावना जगा सकती है इतिहास पलट कर देखिये तो जीजा बाई से ले कर पन्ना धाय जैसी माँ आखिर इसी देश की मिटटी से उपजी थी |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh