सीधी बात
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हिमालय की तरह अडिग , आसमान सा विस्तार
जीवन में सादगी , सादा जीवन उच्च विचार
पत्रकारिता मूल्य जनित , संपादन बेमिसाल ईमानदारी ,
सच्चाई और नेकनीयत यही तो थी पूंजी तुम्हारी ,
मूल्यों से समझौता कभी नही
अपनी संस्कृति पर गर्व करोजीवन दर्शन वैज्ञानिक है
परिवार में सभी को सम्मान
बेटे बेटियों में कोई अंतर नही
जीवन के गूढ़ रहस्य समझा गये
जीवन की थाती थमा गए
उधर शरीर प्राण छोड़ रहा
इधर आपकी सोन चिरैया
गीता का पाठ कर रही थी
क्योकि मन कही न कही बेचैन था
मगर है आप मेरे ही आस -पास
आपको शत -शत नमन
मेरे संत स्वभाव के पिता
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