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यह सच है कि इस देश को हमेशा ही योग्य , सक्षम और कर्मठ नेताओ ने आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया है लेकिन घोटाले ,घपले और भ्रष्ट्राचार कि खबरों ने आमजन को जिस तरह से विचलित किया उसी का परिणाम रहा कि अन्ना हजारे जैसे समाज सेवी के अनशन और भ्रष्ट्राचार के प्रति किये गये संकल्प ने जैसे सोये हुए जनमानस को उद्धेलित कर दिया मगर इसके पीछे कही न कही घपले ,घोटाले कि लम्बी फेरहिस्त थी इन सब से इतर प्रधानमन्त्री जी की चुप्पी हर किसी को परेशान कर रही थी एक तरफ हर कोई कभी कलमाड़ी के अहंकारी और मेरा कोई क्या बिगाड़ लेगा?! जैसे अंदाज में टीवी चैनल्स पर हिंदी फिल्मो के खलनायकों जैसी हंसी ने हर किसी के अंदर गुस्से को और भी भड़का दिया , और यह सिलसिला कमोबेश हर भ्रष्ट्रचारीके चेहरे पर दिखाई देने के चलते तथा अपने योग्य तथा ईमानदार प्रधानमन्त्री की चुप्पी ने उनके आभामंडल और ईमानदारी को जार -ज़ार किया ही रही -सही कसर कुछ चुनिन्दा संपादको के सामने सफाई पेश करने की उनकी कोशिश ने जनता के सामने फिर से एकबार उनकी किरकिरी की है |
मगर ठहरिये एक बार हम सभी को भी इस बात पर चिन्तन -मनन करना ही चाहिए की जिस प्रधानमन्त्री के शान में हम सब बैठ कर प्रलाप और विलाप कर रहे है उन्हें वहाँ तक पहुचाने की जिम्मेदारी आखिर क्या हम सब की नही है ? क्या वाकई में देश के आम आदमी ने अपने वोट का सही इस्तेमाल किया है और इस्तेमाल ही क्यों कितने लोग अपने घरो से बाहर निकल कर वोटिग के लिए जाते ही है , पढ़े -लिखे और हायर सोसायटी की तो बात ही मत पूछिए उनके लिए तो वोट करना मानो लो ग्रेड काम होता है इसलिए अपने मत का सही प्रयोग करके ही हम आधे -अधूरे ढंग से किसी भी पार्टी को जीता कर खुद इस बात का मौका देते है की विधायको की खरीद-फरोख्त करके एक लुंज -पुंज सरकार का गठन किया जाये इसलिए जाने -अनजाने ही हम देश की बागडोर उन हाथो में सौप देते है जिनके पास अपनी आवाज उठाने की खुद की कोई आवाज नही होती और वे कठपुतली बन कर रह जाते है
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