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अब जबकि हम आजाद हुए भारत के 63वांगणतन्त्र दिवस मनाने जा रहे है बहुत सी समानता असमानताओ के बीच हमने एक आशाजनक गौरव की कथा लिखनी शुरू कर दिया है जबकि हमे विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश होने का गर्व हासिल है तो हमारा लोकतंत्र भी धीरे -धीरे परिपक्वता की ओर बढ़ रहा है हम पहले से कहीं ज्यादा समझदार होते जा रहे है धीरे -धीरे हमे लोक्तन्त्र की अहमियत समझ में आने लगी है | सिर्फ लोकतान्त्रिक व्यवस्था में ही आदमी खुलकर जी सकता है यह लोकतंत्र का ही असर है की हम गलत और सही बातो पर अपना विरोथ या समर्थन दे सकते है चुनावी समर में अपने मत का सही प्रयोग करके एक सही उम्मीदवार का चुनाव करके अपनी व्यवस्था को मजबूत कर सकते है | हमारा समाज परिवर्तित हो रहा है मीडिया भी जाग्रत हो चुका है जनता जग गयी है युवा सोच का विकास हो रहा है शिक्षा तथा टेक्नोलाजी में सुधार आ चुका है हम नित नये आयाम गढ़ रहे है जिसके चलते शासन तथा प्रशासन में भ्रष्ट्राचार के खिलाफ एक भय का वातावरण बन चुका है सूचना के अधिकार ने जहाँ लोगो को जाग्रत किया है वही लोकपाल बिल को लेकर एक भावना जाग्रत हुई है |
पिछले कुछ वर्षो में देश का युवा जागरूक बना हुआ है क्योकि इस समय एक नये भारत का उदय हो रहा है जिसमे युवाओ की तादाद ज्यादा है वे जोश और जूनून से भरे हुए है वे भारत में बदलाव चाहते है वे सकारात्मक परिवर्तन चाहते है उनमे निर्णय लेने की क्षमता का विकास हुआ है करियर हो या जीवन साथी का चुनाव पहनावा हो या भाषा शैली या अपनी बात कहने का अंदाज एक बेहद आकर्षक आत्मविश्वास के साथ भारतीय युवा सामने आ रहा है आश्चर्यजनक रूप से उसके व्यक्तित्व में निखार आ रहा है |
यह भी एक ठंडक देने वाला तथ्य सामने आया है कि गाँव का भोला- भाला जवान अब सूचना तथा संचार औद्योगिक पर सहज ही पकड़ बना चूका है आज इसने अपनी विलक्षण प्रतिभा के दम पर उसने बरसों की हीन भावना और संकोच पर विजय हासिल कर ली है | प्रतियोगी परीक्षा से लेकर चिकत्सा ,इंजीनियरिंग और टेक्नोलाजी जैसी विधा में अपनी क्षमता का परचम लहराया है | आज शहर के युवा जहाँ कुछ उपभोक्तावादी ताकतों के शिकार हो रहे है वही अधिकांश ग्रामीण युवा ने अपने लक्ष्य से निगाहे हटाने की गलती नही की है |
कुल मिला कर हम यह मन सकते है की इस इक्कीसवी सदी में हमारा गणतन्त्र और मजबूत तथा परिपक्व हो कर उभरा है |
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