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शिक्षा ,सडक ,बिजली ,पानी स्वास्थ्य तथा फलते -फूलते भ्रष्ट्राचार जैसे अनेक मुद्दे है जो वर्तमान चुनाव में प्रासंगिक भी है और ज्वलंत भी लेकिन विकास तथा रोजगार दो मुख्य मुद्दे है जिन पर ध्यान देना ज्यादा जरुरी है रोजगार जो वर्तमान समय में एक ऐसी समस्या बन कर सामने खड़ी है जिसे ले कर आरक्षण जैसे मुद्दे को भुनाने का कोई भी मौका कोई भी दल छोड़ने को तैयार नही है
सर्वप्रथम मुद्दा है बेरोजगारी का इसका सीधा जुडाव आर्थिक विकास की दर से है श्रमिक बेरोजगारी के समाधान के लिए नरेगा जैसी या ऐसी ही योजनाये तत्काल महत्त्व की है परन्तु ये बेरोजगारी के दीर्घकालिक समाधान का मार्ग नही दिखाती
पूंजी एवं श्रम की गतिशीलता
पूंजी को अपने प्रदेशो में आकर्षित करना एक चुनावी मुद्दा होना चाहिए जैसे यदि किसी भी प्रदेश का नौजवान दूसरे राज्य या प्रदेश में नौकरी करने के लिए जाता है तो तो वहाँ श्रम करके पूंजी कमाएगा लेकिन यदि वह ऐसा नही करता तो वह जिस प्रदेश में रह रहा है वहां की बेरोजगारी दर बढ़ जाएगी लेकन महाराष्ट्र या असम जैसे प्रदेशो में पूंजी को अपने प्रदेशो में आकर्षित करना एक चुनावी मुद्दा होना चाहिए जैसे यदि किसी भी प्रदेश का नौजवान दूसरे राज्य या प्रदेश में नौकरी करने के लिए जाता है तो तो वहाँ श्रम करके पूंजी कमाएगा लेकिन यदि वह ऐसा नही करता तो वह जिस प्रदेश में रह रहा है वहां की बेरोजगारी दर बढ़ जाएगी लेकन महाराष्ट्र या असम जैसे प्रदेशो में यदि किसी भी प्रदेश से युवा जाये और उन्हें भाषा तथा प्रान्त के मुद्दे को लेकर परेशान किया जाये यदि तो इससे पूंजी तथा श्रम की गतिशीलता प्रभावित होगी
संसाधनो में वृद्धि एवं जन सुविधाओ में विकास
यदि जनता को जिम्मेदार बनाना है संसाधनो के प्रति तो उन्हें सरकारी विकास के कार्यो से जोड़ना होगा जिसके चलते वे स्वयं को उस विकास का हिस्सा मानना शुरू कर देंगे इसमें सड़के ,नहरे तथा स्वास्थ्य और विद्यालयों में जनता की भी भागीदारी निश्चित करनी चाहिए ताकि वे उस विकास का हिस्सा बन सके जन सहभागिता की प्रथमिकताये सत्ता की राजनीती की प्रथमिकताये नही बन सकी विभाजनकारी जातिवादी राजनीती इसका कर्ण है |
ट्रांसपोर्टेशन तथा रेलवे को बढ़ावा
एक जगह से दूसरी जगह सामान आयात-निर्यात करने के लिए ट्रांसपोर्टेशन का विकास और विस्तार भी चुनावी मुद्दा होना चाहिए रेलवे लाइनों का विकास तथा रेल्गैयो की संख्या में बढ़ोत्तरी तथा जल और आकाश मार्गो में यातायात के संसाधन का विकास अत्यधिक मात्र में जरुरी है | उसी तरह से सडको की हालत क्या गाँव क्या शहर हर जगह अत्यंत जीर्ण -शीर्ण अवस्था में है स्पष्ट है कि पूरेवर्ष भर निर्माण कार्य चलता है परन्तु पहली ही बारिश में जिस तरह से सडको में गड्ढे बनते है वे स्पष्ट बताने के लिए काफी है कि किस तरह से सीमेंट ,बालू में मिलावट होती है तथा इंजीनियर और ठेकेदार क्या तथा कैसे काम करते है
सामाजिक और आर्थिक न्याय
संविधान की उद्देशिका में सामाजिक ,आर्थिक व् राजनितिक न्याय के संकल्प है | यहाँ पन्थ ,मजहब ,आस्था और विचार स्वतन्त्रता की गारंटी है मजहबी आरक्षण की नही | केंद्र ने पिछड़े वर्गो के आरक्षण कोटे में से मुसलमानों के 4.5 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की है | कानून मंत्री ने इसे ९प्र्तिश्त किये जाने का बयान दिया पिछडो का आरक्षण संविधान की उद्देशिका के ‘सामाजिक ,आर्थिक व् राजनितिक न्याय ‘ के संकल्प की ही प्रतिभूति है |
पिछड़े वर्गो की विशाल आबादी राज्श्त्रिय उत्पादन में जम कर योगदान करती है बावजूद इसके अल्पसंख्यकवादी राजनीती श्रमशील अभावग्रस्त विशाल पिछड़े समूह की उपेक्षा कर रही है | उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्गो की 79 प्रतिशत जातियां है आर्थिक आधार पर पिछड़े वर्गो की खोज और उन्हें विशेष सहायता देने की आवश्यकता है
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