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पीड़ा तू न गयी मेरे तन से ! (हास्य -व्यंग )

सीधी बात
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कभी हाथ में दर्द ,कभी पैर में दर्द कभी सर में दर्द कभी पीठ में दर्द वाह रे दर्द ये तो ऐसे बिन बुलाये मेहमान की तरह आ धमकते है कि इनके अचानक नमूदार हो जाने पर मुंह से सिर्फ आह -उह के सिवा और कोई स्वागत वचन निकलता ही नही है खैर छोडिये अब पिछले दिनों कि बात ही ले लीजिये अचानक पतिदेव के दूर के रिश्तेदार के आने कि खबर इधर आई और जाने कैसे मेरे सिर को यह बात समझने में सेकेण्ड भर भी न लगा कि चलो भाई काम पर लग जाओ सिर में जो दर्द शुरू हुआ कि उस दिन का खाना होटल से मंगवाना पड़ा वह दिन ठहरा कि जब तक मेहमान आ कर चले न गये ये दर्द सिर से उतर कर पैर तक पहुंच चुका था मेहमान भी अच्छे ठहरे उन्हें जहाँ पता चला कि मेरे पैरो में दर्द हो रहा है बस फिर क्या था लगे एक से एक घरेलू उपचार बताने बाबा सामदेव के योगासन से लेकर नीम और करेले का काढ़ा पीने तक का दस नुस्खा बता गये अब उनसे क्या किससे कोई क्या बताये कि भगवान इस दर्द का कारण भी आप ही महानुभाव है आप रुखसत होइए साथ -साथ यह पीड़ा भी विदा ले लेगी अब जब बात दर्द कि निकल ही चुकी है तो बात करते है अपने सेहत की ऊपर वाले ने इस मामले में कुछ ज्यादा ही प्यार दिखा दिया अब एक तो महिलाये जो हमेशा अपने फिगर को लेकर फिक्रमंद रहती है उस पर से कमबख्त ये जीरो फिगर वाली ह्सीनाये मन में हुलस उठती ही है कि काश जीरो नही तो कम से कम कुछ तो ठीक ठाक हो जाते चलो भाई सुबह की सैर शुरू हुयी हाय रे मेरी किस्मत एक -दो दिन तो ठीक ठाक गुजरा मगर ये कुत्तो की नस्ल का बुरा हो कमबख्त जाने क्यों बिला वजह बस पीछे लग जायेगे उस दिन भी ऐसा ही कुछ हुआ उन कुत्तो से बचने के चक्कर में मेरा पैर किसी रस्ते में पड़े पत्थर से टकरा गया और संभलते -संभलते भी जो मै गिरी तो बस बायाँ हाथ फ्रैक्चर !चलो भाई अब हाथ दर्दसे लेकर महीनों तक एक हाथ से काम करने का तजुर्बा हासिल कर रहे है सच पीड़ा तू न गयी मेरे तन से !!!!

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