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नारी को वस्तु के दायरे से बाहर लाइए (jagran junction forum )

सीधी बात
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“नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत -नग पग तल में पीयूष स्त्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल में ” नारी को इतना आदर सम्मान देने की जहाँ परम्परा रही हो उसे देवी के समकक्ष मान कर माँ की शक्ति रूप में पूजा की जाती हो वही पर उसके साथ आये दिन उसकी अस्मत के साथ भरपूर खिलवाड़ किया जाता है हालत यह है की मासूम बच्चियां तक आज सुरक्षित नहीं है उसके पीछे एक तो नारी मात्र उपभोग की वस्तु है यह मानसिकता बनी हुयी है दुसरे उसकी सुरक्षा में पूरी लापरवाही बरती जारही है आज जबकि हम इक्कीसवी सदी में कदम रख चुके है महिलाये हर क्षेत्र में पुरुषो से लोहा ले रही है जिस देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप में विराजमान है जहाँ राजनीति ,शिक्षा ,बिजनेस तथा पायलटो तक की भूमिका में नारी अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करा रही हो वहां आखिर क्या कारण है की महिलाये असुरक्षित है अभी कुछ दिनों पहले पुणे में एक बीपीओ कर्मचारी ज्योति के रेप केस में कैब के ड्राइवर समेत दो लोगो को मौत की सजा सुनाई गयी है जबकि यह घटना 2007 की है और घटना के पाँच साल बाद जाकर इस तरह का फैसला आया होना तो यह चाहिए की ऐसे मामले में त्वरित कारवाई की जाये गुडगाँव की घटना ने सुरक्षा तन्त्र पर ही सवालिया निशान लगा दिया है उस पर से हरियाणा के डिप्टीकमिश्नर का बयानहैरान कर देने वाला है आज जबकि नारी और पुरुष हर स्तर पर समानता के साथ कार्य कर रहे है तो रात आठ बजे के बाद आफिस या किसी भी कार्य स्थल पर रुकने के लिए श्रम विभाग की अनुमति लेने जैसा तुगलकी फरमान जारी करना बेमानी है दरअसल नारी को भी अपनी शक्ति को पहचानना होगा उसे अपने अंदर के आत्मविश्वास को जगाना होगा अपनी प्रतिरक्षा हेतु उसे सजग तथा जागरूक होना होगा वाही प्रशासनिक रूप से महिलाओ की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस विभाग को लेनी होगी तथा जिन जगहों पर वे कार्य करती है वहां भी उनके साथ कोई दुर्व्यवहार न हो पाए इसकी निगरानी कार्य स्थल के मालिको के लिए जरुरी है अधिकतर पब में काम करने वाली लडकियाँ ऐसे हादसों की शिकार बन रही है इसलिए पब में काम की जगह पर सुरक्षा के कड़े कदम उठाने पड़ेंगे आज जबकि दलील दी जाती है कि लडकियों के कपड़े ऐसे होते है कि उनके साथ ऐसे हादसे हो जाते है इसलिए कपड़ो के चुनाव में सावधानी बरते यह दलील बिलकुल बेवकूफी भरा है जो दरिन्दे इस तरह कि घटनाओ में लिप्त होते है उनके लिए साड़ी पहनी हुयी उम्रदराज महिला भी मात्र शरीर है इसलिए पुरुष अपनी मानसिकता को बदले तथा नारी शक्ति को पहचाने और उसका सम्मान करना सीखे

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