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यह सच है कि हम जिस समाज में रह रहे है उसमे अनेक कुरीतियाँ सामाजिक बुराइयाँ तथा विसंगतियां है ऐसा नहीं कि इन सब के विरुद्ध आवाजे नहीं उठाई गयी “कन्या -भ्रूण ‘हत्या जैसी घिनौना तथा अमानवीय कार्य हमारे यहाँ जिस तेजी से हो रहा है उसको लेकर यदि कोई भी रियल्टी शो बनता है तो उसमे बुराई क्या है हमें नही भूलना चाहिए सिनेमा ने वर्षो पूर्व उन साहित्यकारों की कथाओ को ले कर जिस तरह की फिल्मो का निर्माण किया जिसमे अनेक सामाजिक समस्याओ से जुड़े मुद्दे होते थे ओर वही एक माध्यम था जिसे देखने के बाद लोग चर्चा करते थे आखिर एंग्री यंगमैन के रूप में अमिताभ को लोगो ने क्यों स्वीकार किया ? उसी तरह से आज छोटा पर्दा है अगर समाज से जुडी विसंगतियो को एक रियल्टी शो बना कर आमिर दिखा रहे है तो भले ही उसके लिए उन्हें पैसा मिल रहा हो क्या गलत है ? यह हमारी किस्मत है की हम एक ऐसे देश में है जिसमे गुलामी के दौरान भी समय -समय पर सामाजिक समस्याओ से जुड़े मुद्दे पर बुध्जिवियो, शिक्षाविदो ने कलम चलाया और आवाज उठाई है चाहे वे सतीप्रथा ,बालविवाह अथवा सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने का मामला हो या अन्य मामला इसमें राजा राममोहन रॉय और ईश्वर चंदर विद्यासागर जैसे शिक्षाविद शामिल रहे है मगर तकनिकी रूप से संपन्न न होने के बावजूद उस समय भी समाज सुधार आन्दोलन चलते रहे है तो आज इक्कीसवी सदी में यदि हमारे पास वह सभी साधन उपलब्ध है जिससे हम समाज से जुडी बुराइयों को पुरजोर ढंग से उठा सकते है तो यदि फ़िल्मी कलाकार जुड़ते है तो उसमे बुराई क्या है ? दूसरी बात अगर हम इस रियल्टी शो को यदि एक फिल्म की तरह मान कर उसमे पडित व्यक्ति को मात्र एक चरित्र अभिनेता की तरह भी मान ले तो क्या यह कम हिम्मत की बात है की भुक्तभोगी स्वयं अपने मुंह से अपनी व्यथा को बता रहा है और कम से कम इतनी जागरूकता तो आ रही है समाज में की वे इस सभ्य समाज का वह काला चेहरा भी देखे जिस दौर से गुजर कर कितनी मासूम जिंदगियां तबाह हो जारही है ” बाल-यौन ‘ शोषण एक ज्वलंत मुद्दा है मगर हमारे यहाँ इस मुद्दे को ले कर कोई कानून नहीं बना है तो बेहतर होगा की आमिर की बुराई करने की बजाय इस मुद्दे की गंभीरता को समझा जाये जहाँ तक सर्कार की नींद खुलने की बात है तो यह तो सच है की सरकार को जगाना ही पड़ेगा और उसे इस नीद से देश के युवा ही तो जगायेंगे
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