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राम का नाम बदनाम न करो

सीधी बात
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देवानंद जी की फिल्म “हरे राम – हरे कृष्ण ” का यह गाना “देखो तुम दिवानो यह काम न करो राम का नाम बदनाम न करो” वाकई आज के दौर में भी कितना प्रासंगिक लगता है क्योकि अपने दुःख ,तकलीफ को भूलने के लिए जिस तरह से हमारे युवाओ में कभी रेव पार्टी तो कभी किसी भी बहाने नशे का सेवन करने का जो प्रचलन बढ़ रहा है उसी का फायदा उठा कर ड्रग्स का व्यापर और कारोबार कितना फलफूल रहा है इन सभी बातो से पहले हमें यह जानना होगा की शराब हो या कोई भी ऐसी चीज जिसके प्रयोग से सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं हो सकता उसके गिरफ्त में आखिर हर कोई कैसे पहुँच जाता है या यूँ कहे कि इस तरह कि गलत आदतों का शिकार कोई कैसे हो जाता है दरअसल मानव प्रवृत्ति है कि कि वे सपने देखता है और वे दुनिया में सभी को पछाड़ते हुए आगे निकल जाने कि कोशिश करता है ऐसा नहीं कि यह नियम सिर्फ किसी खास क्षेत्र या व्यक्ति विशेष पर लागू होता है यह धारणाये हममे से सभी पर लागू होती है मगर सपने देखना और उसे पूरा करने में जुट जाना दो अलग बाते है जो अपनी मंजिल तक पहुँच जाते है वे निश्चिन्त हो कर जीवन जीते है मगर जो किसी भी कारणवश अपने लक्ष्य को नहीं पूरा कर पाते उनके लिए नशे कि दुनिया में जा कर थोड़ी देर के लिए सही एक कल्पना जगत में रहना उन्हें सुकून देता है ये बात अलग है कि इन गलत आदतों के चलते उनकी जिन्दगी दूभर हो जाती हैसिर्फ उनकी ही नहीं उनसे जुड़े उस हर शख्स कि जो उनका करीबी है यह यक्ष प्रश्न है कि आखिर इस यथार्थ का सामना हममे से हर एक को करना ही चाहिए कि जितनी क्षमता हमारी है हम बस उस सीमा तक ही जा सकते है अपने सामर्थ्य से ज्यादा कि चाहत रखना सिवाय तकलीफ और गलत रस्ते पर चलने के अलावा कुछ भी नहीं हो सकता एक उदाहरण दिया जाता है कि सीता ने बनवास के दौरान राम से उस मृगमरीचिका को लाने के लिए कहा जो मायावी था आज के दौर में बनवास जाने कि जरुरत नहीं आप जहाँ पर भी है हर एक वह वस्तु जो आप को आकर्षित करती है आप उसे हासिल करने कि कोशिश करते है आप के लालच को भांप कर जाने कितने स्वर्ण मृग चारो तरफ घूम रहे है और और उसको पाने के प्रयास में राम को सीता से दूर जाना पड़ रहा है नतीजा सीता को फिर से रावण के चंगुल में फंसना पड़ रहा है इसलिए जरुरी है कि आज हर कोई अपने अन्दर के लालच को अपने ऊपर हावी न होने दे ताकि रावण को दुबारा मौका न मिल पाए सीता हरण का सभी कुछ हमारे अपने हाथ में है हमें अपने विवेक का इस्तेमाल करना होगा
(यह लेख पूरी तरह से सामाजिक सरोकार से जुड़ा है कोई खास धर्म सम्प्रदाय इससे आहत न हो यह ब्लौगर के निजी विचारो का एक संकलन है )

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