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बेटी है सदा के लिए इसे अपने दिल में बिठाइए (JAGRANJUNCTION FORUM )

सीधी बात
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बेटियां कभी भी परायी नहीं होती वे बेहद समझदार तथा अपने माता -पिता के करीब होती है पराया धन तो उन्हें इसलिए कहा जाता है क्योकि जिन्दगी भर अपने माता -पिता के पास नही रह सकती दूसरे ये भगवान की सबसे सुन्दर तथा अमूल्य कृति होती है जिन्हें बेहद सलीके तथा सुघड़ ढंग से हर माता -पिता को संभालना होता है उन्हें कदम -कदम पर मार्ग दर्शन की जरुरत होती है आत्मविश्वास उनका गहना होता है और निर्भीकता तथा सादगी उनका ढाल सारे आभूषण से सुसज्जित करके उन्हें जब ज्ञान तथा शिक्षा का संस्कार दे कर अपने घर से विदा किया जाता है तो उन्हें दूसरे घर की रीति रिवाजो को अपनाने की सलाह दी जाती है जाहिर है नए घर तथा माहौल में उसे हर तरह की दिक्कतों या तौर -तरीको का सामना करना पड़ता है यहाँ यह बात मायने नहीं रखती कि बेटी ने प्रेम विवाह किया है या अरेंज्ड मैरिज बहुत सी बातो में या कई निर्णय में एक सुलझे तथा समझदार माता पिता अपनी बेटी को सही राय दे सकते है शायद कोई इस बात को न माने मगर यह सच है कि कि वे हमेशा अपने घर तथा परिवार को प्रमुखता देती है वे प्रकृति की सहचरी होती है इसीलिए दया ,त्याग तथा ममता और करुणा उन्हें विरासत में मिलती है वे दूसरो के घर में जा कर उसे पूरी तरह से अपनाने की कोशिश करती है बहुत पहले भले ही लडकियों की शादी के समय लोग ये मान कर कि अब ये परायी हो चुकी है इनसे ज्यादा क्या मतलब रखना जैसे पूर्वाग्रह पाल कर रखते थे ये सभी बाते आज के दौर में बेमानी है अगर अच्छी शिक्षा दे कर उन्हें अपने पैरो पर खड़े होने कि सहूलियत दे दी जाये तो दहेज़ जैसा दानव जिसके चलते कितनी ही लडकियों का विवाह रुक जाता है उसका समाधान मिल सकता है आज के दौर में जबकि बेटियों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ चुकी है क्योकि शादी के बाद भी वे अपने माता -पिता से इस कदर भावनात्मक रूप से जुडी रहती है की वे चाहती है की उन्हें ऐसा जीवनसाथी मिले जो उनके साथ -साथ उनके घरवालो का भी ध्यान रख सके बिलकुल उसी तरह से जैसे कि एक बहू से उम्मीद कि जाती है वे शादी के बाद अपने सास -ससुर का ध्यान रखती है हाँ अब वक्त जरुर बदला है और अधिकतर युवा अपने लाइफ -पार्टनर को ले कर मात्र शादी के सात फेरो तक अपने को न सीमित रख के एक दुसरे के सुख -दुःख तथा जरुरतो और इच्छाओ का आदर करना भी सीख रहे है हर बदलाव धीरे -धीरे ही होता है समाज में जागरूकता आई है बेटियां हमारे घर आंगन कि शोभा होती है घर कि रौनक उनके कारण ही होता है हर तीज -त्यौहार में या शादी विवाह में बेटियां धमाचौकड़ी मचाती है वे परायी नहीं मगर मान सम्मान कि हक़दार होती है इसलिए बेटियों का सम्मान बहुत जरुरी है सावन का महीना आ चुका है बेटी को बाबुल का घर क्यों याद आने लगता है ? क्योकिं प्रकृति भी एक तरह से इस संसार के आंगन में हरियाली के रूप में अठखेलियाँ करती है हर तरफ हरियाली ही हरियाली हर बेटी को अपना मायका याद दिलाता है रक्षा -बंधन का पर्व समीप है भाई याद कर या न करे बहन तो जहाँ भी होगी अपने भाइयो के लिए सुंदर -सुंदर राखियों के धागे में अपने स्नेह को गूँथ कर भेजना नहीं भूलेगी

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