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ओबामा क्यों रोये

सीधी बात
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अमेरिका की हालत जो इन दिनों है उसके बारे में जितना लिखा या कहा जाये वो कम है दरअसल अमेरिका ही नहीं पूरे योरोप की हालत इस तरह की है जहाँ तलाक तथा संबध -विच्छेद को ले कर सबकी एक धारणाये है कि पति -पत्नी का मतलब कि एक -दूसरे के साथ कुछ दिन साथ बिताने के बाद अपने निहित स्वार्थ के चलते अपनी जिन्दगी को अपने ढंग से बिताने के लिए आजाद हो जाना इसमें भी बच्चो कि हालत और भी ख़राब है एक तो वे माता -पिता के अलगाव के चलते भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ जाते है दूसरे ज्यादातर मामलो में पिता का बिलकुल भी अपने बच्चो के साथ संबंध न रखना मां और बेटो दोनों रिश्तो के लिए नुकसानदायक सिद्ध होता है अमेरिका में इस तरह कि गोलीबारी कि घटना कोई पहली बार घटी घटना नहीं है कुछ दिनों पहले इस तरह से एक गुरुद्वारे में भी गोली बारी की घटना हो चुकी है जाहिर है पश्चिमी देशो में उपयोग और उपभोग < के बीच का अंतर ख़त्म हो चुका है हम संसाधनो से ले कर निजी जिन्दगी के प्रतिदिन होने वाले व्यय का लेख जोखा यदि करे तो हम पाएंगे कि यह समस्या एक विकराल रूप धारण करती जा रही है यहाँ अपने देश अर्थात इंडिया का भी यही हाल है हमने अपनी अंतरात्मा कि आवाज सुननी छोड़ दी है मां -बाप ,बाबा -दादी ,नाना -नानी बुआ ,चाचा जैसे रिश्ते अपना अर्थ खोते जा रहे है कहावत है कि काठ कि ननद सताती है अर्थात यह एक पारिवारिक अंकुश है जहाँ बुआ का पद बड़ा होता है उन्हें सम्मान दिया जाता है जब परिवार टूटता है तो उसका खामियाजा सिर्फ बच्चो को नहीं समाज को भी भुगतना पड़ता है हम कैसा समाज कैसा परिवार बना रहे है इस पर ध्यान देने का समय आ चुका है सिर्फ पैसा कमाने कि मशीन न बन कर हम ज्यादा से ज्यादा समय अपने बच्चो के साथ गुजारे थोडा नियम कानून हथियारों के लाइसेंस के सम्बन्ध में भी सख्त बनाना जरुरी है और इन सब से कही ज्यादा जरुरी है कि हम मासूम और निर्दोष बचपन को उसकी मासूमियत के साथ जीने दे दुःख कि इस घड़ी में अमेरिका में दुबारा इस तरह कि घटना न हो और सिर्फ अमेरिका ही क्यों दुनिया के किसी भी देश में ऐसी दुखद घटना न हो इसकी प्रार्थना करे

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