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समाज और प्रशासन तथा खासतौर पर समाज के सेवक( नेता )अपनी मानसिकता बदले

सीधी बात
सीधी बात
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नारी है क्या बेचारी ,अबला या पुरुष के इशारो पर नाचने वाली कठपुतली ? समय आ चुका है कि महिलाओ को बराबरी का दर्जा ही नहीं उनके मान-सम्मान तथा अधिकारों का फिर से व्याख्या किया जाये क्या समझ रखा है महिलाओ को दुनिया भर के नियम कानून बना कर क्या फायदा जबकि उनके साथ आये दिन छेड़-छाड़, उनका मजाक उड़ाना उनके साथ भेद -भाव कदम कदम पर उन्हें अपनी काबिलियत तथा अपने आप को सिद्ध करने की कोशिश करना या तो उन्हें सीधे देवी या मां मान कर उनकी पूजा पाठ करने का ढोंग करना जबकि हकीकत में उन्हें हाड़-मांस का बना हुआ प्राणी भी न मानने की एक विकृत मानसिकता पनप रही है जिस तरह की घटनाये आये दिन घट रही है उसने नारी के अस्तित्व को पूरी तरह से एक प्रश्नचिन्ह लगा दिया है आज की नारी जब प्लेन उड़ाने से ले कर मिसाइल बनाने तक की काबिलियत रख रही है उसने जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वह खेल-कूद हो पढाई हो या फिर शासन में दखल हो डाक्टर ,इंजीनियर से ले कर हस्तशिल्प के कामो में खेती बाड़ी तक में वह पुरुषो के साथ कंधा से कंधा मिला कर काम कर रही है ऐसे में उसकी सुरक्षा को ले कर समाज से ले कर शासन -प्रशासन तक सभी की महती जिम्मेदारी बनती है कि वे महिलाओ कि सुरक्षा को ले कर जिम्मेदार बने पहले तो बसों ,बाजार या किसी भी पब्लिक प्लेस पर किसी भी महिला के साथ किसी भी तरह के छेड़-छाड़ को अपराध की श्रेणी में रखा जाये इन्हें हल्के तरीके से बिलकुल न लिया जाये दूसरे महिलाये या लडकिया अपने को कमजोर न समझे भीड़ -भाड़ वाली जगह पर तो किसी की भी परवाह न करते हुए पलट कर उस लड़के या व्यक्ति पर वार करे जो किसी भी तरह की अभद्रता कर रहा हो कोई भी हरकत जो बर्दाश्त नहीं किया जा सकता उसे क्यों बर्दाश्त करे ? एक जरुरी बात यह भी है कि महिला पुलिस कि तादाद बढाई जाये फिर छेड़ -छाड़ या किसी भी महिला के साथ होने वाले दुर्व्यवहार कि रिपोर्ट तुरंत दर्ज कि जाये माता -पिता की भी भूमिका भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है बहुत रात तक घर से बाहर रहने पर बच्चो की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने गार्जियन को बता कर रखे कि वे कहाँ पर है इस बात का खास तौर पर ख्याल रहे कि बस , ऑटो रिक्शा ,टैक्सी जहा भी वे जा रहे है उन्हें वापसी में मिल सकता है या नहीं यह तो रहा सुरक्षा सम्बन्धी मसला अब बात करते है जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की जो अपनी मानसिकता को अब बदलने की कोशिश करे महिलाये या लड़कियां मात्र वोट बैंक नहीं है कि उन्हें साड़ी ,कपडा या शीघ्र विवाह का लुभावना लालच दे कर उन्हें खुश कर दिया जाये उन्हें आश्वासन मिले कि वे भी देश कि आम नागरिक है उनके सुरक्षा कि जिम्मेदारी सभी कि है किस लक्ष्मण रेखा को लांघने की बात की जारही है अपने दोस्त के साथ घूमना -फिरना किस किताब में मना लिखा है इस घटिया सोच को बदलिए धर्मगुरु अपने धर्म का उपदेश दे तो बेहतर होगा कर्म की शिक्षा देने से बचे इस इक्कीसवी सदी में हमारे बच्चे कही ज्यादा समझदार है अपने भविष्य को सुनहरा बनाने के उद्देश्य के खातिर ही वे मेडिकल और इंजिनयरिंग के क्षेत्र में जाने की बात सिर्फ सोचते नहीं है कर दिखाते है और ऐसी लडकी उन दरिंदो के पैर पड़ेगी जो मानव के रूप में आदमखोर बन कर किसी की आबरू लुटते है बहुत हो चुका महिलाओ का सम्मान और उनके हिस्से की आजादी उन्हें मिलनी ही चाहिए
एक आखिरी बात जो मेरे लिखे जाने से सम्बन्धित है मेरे जयमहाराष्ट्र लिखे जाने पर कुछ उदारमना भाइयो को आपत्ति है यहाँ एक बात मै स्पष्ट कर दूँ आदर सम्मान डर की वजह से नहीं किया जा सकता स्व.बालठाकरे पिता तुल्य थे उनके जाने का दुःख है मुंबई में अभी मकर संक्रांति या जिसे पोंगल कहते है वह पर्व मनाया जाता है उसमे महिलाये अपने घर पर पडोसी महिलाओ या मित्रो को आमंत्रित करती है उनका हल्दी कुंकुम किया जाता है बडो का पैर छु कर आशीर्वाद लिया जाता है और छोटो को आशीर्वाद दिया जाता है जहा नारी सम्मान की रक्षा की जाती हो उस स्थान का गौरव वैसे ही बढ जाता है मेरे जय महाराष्ट्र का उद्गार इसी बात का प्रतीक है इसे अन्यथा लेने की भूल मत कीजिये दुसरे मै कृपण हूँ इतनी बड़ी बात आदरणीय भैया आपने कैसे कह दी मै अपने विचारो को हर किसी के साथ साझा कर रही हूँ मेरे विचारो से हो सकता है कुछ लोग प्रभावित ही हो जाये हो सकता है कुछ अच्छा ही हो जाने का संयोग बन जाये अब इससे ज्यादा उदार एक गृहणी एक मां एक पत्नी क्या हो सकती है
जय हिन्द ,जय महाराष्ट्र

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