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हम कोस चुके सनम

सीधी बात
सीधी बात
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अब आप सोचेंगे यह भला कौन सी बात हुयी दिल दे चुके से सीधे कोसने पर आ पहुंचे मगर यह तो बड़ी आम सी बात है भला हमे कोसने से कोई क्योकर रोकेगा अरे भई सनम तो जरा अपने तुक्के को सही बैठाने के लिए यूँही लिख दिया अब इसका यह मतलब हरगिज मत लगा लीजियेगा की सनम को भला क्यों कोस रहे !अजी, छोडिये साहब यूँही मन किया लिख दिया अब बेसिर पैर की फिल्मे बन सकती है शीला और मुन्नी पर यदि गाने बन सकते है तो भला हम अपने सनम को क्यों न कोसे वैसे भी हर गलती के लिए दूसरे को जिम्मेदार ठहराना अपनी आदत में शुमार है | फिर भलाबात कोई भी क्यों न हों अब देखिये अपने को तो इसी बात का मलाल है कि काश! हम एक डाक्टर होते इस बात के लिए भी हमने कोस डाला अपनी किस्मत को आखिर यह जिम्मेदारी भी तो अपने वालिद की ही थी, वह चाहते तो क्या आज हम भी अच्छे -भले डाक्टर न होते! “अरे, भाई हमने तो पूरी कोशिश की कमबख्त गणित ने पूरा खेल खराब कर दिया अब वह क्या है न हिसाब किताब में तो अपना दिमाग थोडा कम ही चलता है| मगर अपने को यह कभी भी समझ में नहीं आया की साइंस में अगर बायोलोजी पढना जरुरी है तो उसमे मैथ जैसा खबीस सब्जेक्ट भला क्यों जरुरी कर दिया जाता है! और फिर मेरे जैसा स्टूडेंट अगर हो तो कितने मेहनत की मैंने एक -एक क्लास में दो -दो साल रिसर्च करने के बाद भी डाक्टर की डिग्री किस्मत में नही लिखी थी तो नहीं मिली मगर इसमें मेरा क्या कसूर ? अब देखिये भला कोसना तो हमें बचपन से ही सिखाया जाता रहा है की सपनो का राजकुमार आएगा ,दुल्हन बना कर ले जायेगा रानी बना कर रखेगा अपने सपनों का राजकुमार तो ऐसे मजबूत किले में ले गया संस्कारो और रीति-रिवाज की ऐसी बेडियो में जकड़ा गया की बेड़िया टूटने पर भी लगता है कमबख्त सारे जिस्म पर निशान बाकी है ! अब किसे कोसे भई बेचारे सनम नामके जिस शख्स को अपना सर्वस्व सौंप दिया क्या उसे कोस भी नहीं सकते ! लीजिये कोसने की बात चले और अपने कामचलाऊ सरकार को न कोसे तो फिर बात अधूरी ही रहजाएगी ! लीजिये नेक काम में देरी क्यों शुरू कीजिये अच्छा ठीक है ,आपसब तो थोडा हिचक रहे है चलिए शुरू किया जाये अपना देश गर्त में जा रहा है नैतिकता तो बची ही नहीं किसी के अंदर, करोडो का घपला घोटाला करके भी लोग किस कदर निश्चिन्त है ! क्यों न राजनीतिज्ञों की तरह शुरू किया जाये अगर शिमला समझौता ठीकसे हो गया होता तो देश में सब कुछ बढ़िया चलता ! हाँ, हाँ क्यों नहीं ? चलिए फिर बैठे बिठाये मुद्दा मिला विपक्षी पार्टियों को इस देश का बेडा गर्क करने का ठीकरा नेहरु ,गाँधी परिवार के सर ही फोड़ा जाये तो अच्छा है जैसे और कोई पार्टी रहती तो देश में राम राज्य होता अरे ,याद आया कोसने के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली से ले कर अपने सामान्य आदतों के लिए भी दूसरो को दोष देना यही तो हम सभी की खासियत है पान खा कर पीक कही भी थूक कर गंदगी के लिए हर किसी को कोसना ,सडक पर कचरा डाल कर अपनी जिम्मेदारियों से हाथ झाड़ लेना यह सब तो बड़ी छोटी -छोटी बाते है अब भला इस पर क्या माथा पच्ची करना !पर्यावरण प्रदूषण के लिए बड़ी -बड़ी बैठक करके एक -दूसरे को जिम्मेदार ठहराना मगर अपनी जिम्मेदारी इतनी भी न समझना कि कम से कम सब्जी भाजी के लिए कपडे की थैली घर से ले चले उस पर तुर्रा यह कि अगर थोडा जागरूक दुकानदार प्लास्टिक की थैली देने में आना कानी करे तो उसे वाजिब दाम दे कर थैली हासिल करके अपने को बहुत तीसमार खां समझना कोसने का हक़ कभी न छोड़े क्योंकि कोसना तो हम सब को घुट्टी में पिला दिया जाता है | चलिए कोसना बहुत हो गया अब यह फालतू सा लेख पढ़ कर कोई हमें न कोसे बस इतनी ही इल्तिजा है | बुरा लगे तो माफ़ कीजिये अपनी तो आदत है कुछ नहीं कहते | जय हिन्द ,जय महाराष्ट्र

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