- 103 Posts
- 764 Comments
मुझसे पूछा जाये हालाँकि यह सिर्फ मेरी धारणा है किस किसको पड़ी है की मेरे जैसे ऐरे -गैरे को आ कर कुछ पूछे फिर भी आदत से मजबूर मै तो लिखूंगी और पढना पड़ेगा हाँ! तो में कह रहीथी की जब इस दुनिया से लोग चले जाते है तो उनकी याद क्यों आती है? अब राजनीतिज्ञों की बात करे तो वे तो अपनी नेतागिरी करने के लिए मुद्दे तलाशते रहते है अपने तो किसी अर्थ गोबर लायक नहीं मगर पता नही किस -किस को याद करके फलाने जयंती -डिकने जयंती सब मना डालेंगे संयोग से आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्मदिन है अब सारे बांग्ला-बंधुओ को उनकी बड़ी याद आ रही है मुझे भी यही लगता था की देखो नेताजी की मौत आज तक मिस्ट्री बनी हुयी है सारी गलत फहमी दूर हुयी कल एक न्यूज चैनल देख कर जहाँ नेताजी के साथ गायब हुए गहनों को लेकर कर एक चिंता व्यक्त की जा रही थी तब जा कर लगा की नेताजी एकाएक इतनी शिद्दत से लोगो को क्यों याद आने लगे ! खैर याद करने में तो मै भी किसी से कम नहीं मेरी माता जी को गए आज तीन साल हो रहा है जब तक थी उनकी एक बात मैंने नहीं सुनी अब बिसूर-बिसूर कर रोती हूँ क्योंकि अब लगता है कि किस तरह से सारे रिश्ते नाते को सहेजते हुए बिना किसी सख्ती किये हुए हम भाई बहनों कि देख -भाल की यही बहुत होगा कि उनके जैसा सहनशील और धर्मपरायण और कर्त्तव्य परायण बन सके खैर यह तो रही मेरी निजी जानकारी अब बात करते है नेताओ की राहुल बाबा की बात करे तो सच में कांग्रेस के अंदर ही चम्मचो और जी हजूरी करने वालो की लंबी फ़ौज है उन्हें याद करना है तो इंदिरा गाँधी जैसी शख्सियत को याद करे उनके जैसी कूटनीतिक तथा राजनीतिक छवि वाली सशक्त महिला को याद रखे अपने पिता राजीवगांधी को याद रखे जो बहुत सीधे और सरल थे जो इस देश की छवि बदलना चाहते थे लेकिन किस तरह से उनकी हत्या कर दी गयी इसलिए वे ध्यान रखे की सच में राजनीती “काजल की कोठरी ” है जिसमे दाग लगाये जाते है इस लिए जीहजुरी करने वालो से सजग रहने की जरुरत है |महाराष्ट्र की राजनीती में मेरी याद में अगर कोई व्यक्तित्व था तो वे थे “बालासाहेब ठाकरे” एकदम निर्भीक और निडर हाँ महाराष्ट्र के बाहर उनकी छवि जरुर एक बेहद कडक और अलग थी लेकिन इस तरह की छवि बनाना जरुरी था अगर मुंबई आज सेफ और विकासशील है तो इसका श्रेय बाला साहब को भी जाता है वे भाषण देने की कला में माहिर थे आज कितने नेता है जो शुद्ध बोल पाते है ! वे वाकई शिवसैनिक थे उनके गण हर जगह फैले रहते थे उन्हें महिलाओ की सुरक्षा को ले कर चिंता रहती थी कल मैंने पेपर में पढ़ा की किस तरह से एक कलाकार को अपनी पार्टी में शामिल करके उस व्यक्ति के ईमानदारी तथा कर्मठता को सम्मानित किया | शिव सेना में अब वे बात नहीं रहेगी क्योंकि हर मुद्दे पर बेबाकी से राय रखने वालो की कमी हो चुकी है |
जय हिन्द ,जय महाराष्ट्र
Read Comments