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स्त्री अधिकारों की मांग सम्मान के साथ चाहिए (jagran junction forum )

सीधी बात
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‘सम्मान’ एक छोटा सा शब्द मगर अपने आप में यह कितने अर्थ को समेटे हुए है | अगर हम बात करे स्त्री अधिकारों की तो नारी और पुरुष दोनों ही समान रूप से इस समाज ,परिवार तथा देश में बराबरी के स्तर पर है जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ बराबरी का दर्जा रखने वाली नारी को आखिर अपने अधिकारों की बात क्यों करनी पड़ रही है ,दरअसल यह सारा मामला ही ‘ नारी को देह मात्र ‘ मानने की मानसिकता से जुड़ा हुआ है | इससे पहले भी बहुतसी ऐसी घटनाये घटी जिसमे लडकियों के साथ गलत हरकत करके लोग साफ -साफ बच निकलते थे मगर ‘जेसिका लाल हत्याकांड ‘ में देर से ही सही न्याय हुआ इससे आम लोगो में यह संदेश तो गया कि अब अपने पैसे तथा रुतबे के बल पर किसी भी लड़की या महिला के साथ कुछ भी गलत करने पर पीड़ित या पीडिता के परिवार को न्याय मिल सकता है , मगर यह तो तस्वीर का एक पहलू है वास्तव में तो आज भी हम महिलाएं कही भी अपने आप को सुरक्षित नहीं मान सकती जब तक की उन्हें समाज में पुरुषो से कमतर करके आँका जायेगा देखिये शादी ब्याह जैसे पवित्र रिश्तो की यदि हम बात करे तो इस रिश्ते के आधार में प्यार ,समर्पण कर्त्तव्य तथा आपसी विश्वास और विचारो में सहमति बहुत जरुरी है मगर यह मत भूलिए की पति पत्नी के बीच भी विचारो का टकराव होता है और यहाँ भी दोनों जब तक एक -दूसरे का आदर तथा सम्मान नहीं करते उनका रिश्ता सही मायने में बहुत अच्छा तो नहीं माना जाता है इसलिए यह कहना कि नारी क्या ‘अबला’ है उसे दूसरों या यूँ कहे पुरुषो के सामने हाथ फ़ैलाने की क्या जरुरत ? पूरी तरह से हास्यास्पद है ! नारी बराबरी का अधिकार चाहती है यदि वे समान रूप से मतदान कर सकती है ,नौकरी कर सकती है प्लेन उड़ा सकती है नेता बन सकती है डाक्टर ,इंजीनयर ,वकील तथ वैज्ञानिक पुलिस आफिसर और रीडर तथा लेक्चरर बन सकती है तो उससे भेदभाव किस लिए किया जाता है कुछ दिन पहले एक प्रयोग मैंने किया अपना ब्लाग जब लिखना शुरू किया तो अपना पूरा विवरण मैंने नही लिखा जाहिर है इस पुरुषवादी सोच ने अपनी सोच का घोडा दौड़ाया और किसी ने मुझे किसी समाजसेवी का पक्ष लेने के चलते उनकी ‘—‘ बताया किसी ने कुछ समझा मतलब एक महिला अगर अपने हिसाब से कुछ ऐसा लिख रही है जो किसी भी सूरत में समाज विरोधी तो नहीं ही था तो उसके बारे में क्या मानसिकता लोगो की बन जाती है इसमें पूरा -पूरा पुरुषो का दोहरापन सामने आ गया आज कश्मीर की उन तीन लडकियों को जो गाना गाती है उन्हें धमकी दिया जा रहा है कोई नयी बात नहीं है मुझे भी धमकियाँ मिली कई मगर मैंने अपना हौसला कभी भी नहीं छोड़ा क्योंकि मेरे साथ मेरे माता -पिता का हाथ मेरे सर पर था और मैंने ‘डर ‘ शब्द को अपने से अलग किया क्योकि मै अगर सही हूँ और सच का साथ दे रही हूँ तो मेरा कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता | दूसरी बात महिलाओ के कपडे को ले कर अक्सर यह कहा जाता है कि वे जिस तरह के कपडे पहनती है उससे उनके साथ दुर्व्यवहार होता है यह पूरी तरह से गलत है अक्सर छेड़ -छाड़ के मामलो में सीधी -साधी महिलाओ के साथ भी गलत व्यवहार होता है | हाँ यह जरुर है कि महिलाओ को ‘प्राडक्ट ‘ मान कर जिस तरह से विज्ञापन और फिल्मो में उन्हें दिखाया जाता है उससे उनकी छवि जरुर गलत बनती है इसलिए यह बात तो स्वयं महिलाओ को समझना होगा कि वे प्राडक्ट बनना पसंद करेंगी या फिर एक सक्षम तथा सशक्त महिला और लडकियों की भूमिका में स्वयं को रखना चाहेंगी क्योंकि यदि समाज को बदलना है तो कुछ फैसले आप सब को भी लेना होगा फिर सारे अधिकार हमारे है उन्हें मांगने की जरुरत नहीं |

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