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बेईमानी से मुक्ति और विकास का लक्ष्य बस इतना सा ख्वाब है !

सीधी बात
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ज्यों -ज्यों चुनाव नजदीक आ रहे है सभी चुनावी दलों के दिल यूँ धडक रहें है जैसे बिहारी के दोहों में नायिकाए अपने प्रिय के इंतजार में बावली हो जाती थी मगर प्रेमी को रिझाना और जनता को रिझाना दो अलग मुद्दे है प्रेमिकाओ के पास तो फिर भी अपने प्रिय को रिझाने के कई युक्तियां थी और उनकी दशा के वर्णन के लिए कभी मेघ तो कभी बरसात का सहारा ले कर महाकवि बिहारी ने बढा-चढ़ा कर लिखा है हाय ,हाय इन दलों का किया जाये जिन्हें मुद्दे समझ में ही नहीं आ रहे है आये भी तो कैसे जनता के बीच में कभी जाये तब तो यहाँ तो मुआँ इलेक्ट्रानिक मीडिया है सभी औने पौने किसी भी छूटभैये नेता को पकड डालेंगे लो भाई इनके श्री मुख से क्या निकल रहा है देखते -देखते तिल का ताड़ बन जायेगा | अब देखते -देखते प्रोग्राम बन गया लगे हाथ कुंभ भी स्नान -ध्यान हो जाये और राजनीती भी कर ली जाये एक बात जो मेरे जैसी अनपढ़ ,गंवार को समझ में नहीं आई कि भला धर्म और राजनीति का क्या ताना -बाना है | अरे भाई हम सब भी पूजा -पाठ करते है मंदिर भी कभी -कभी चले जाते है धर्म हमें सिखाता है कि मानवीय बनो अमानवीय मत बनो मगर हाय रे यह मन्दिर ,मस्जिद इतना तो अगर एक जुट हो कर स्कूल ,कालेज और कुपोषित बच्चो के पोषण के लिए एकजुट हो जाते तो सबसे बड़ा धर्म हो जाता !खैर छोड़िये साहब इस पचड़े में मुझे क्या पड़ना बेईमानी तो इस कदर सबके रग -रग में समायी है कि अगर कोई ईमानदारी से काम करे तो उस पर भी शक सुबहा होने लगे ! खैर बात कर रहे है मुद्दे की यहाँ गुजरात में विकास हो रहा है तो उसका कुछ श्रेय उन अप्रवासी भारतीयों को भी दिया जाना चाहिए जो विदेश में रह कर भी गुजरात के विकास के बारे में सोचते है यहाँ तो हालत यह है कि अपने ही देश में एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते ही जहाँ पैदा हुए उसी कि बुराई करने में हम भैये लोग बहुत आगे है फिर मुद्दे से मै भटक गयी ! इस दफा मुद्दा हो तो क्या महिलाओ की सरक्षा से जुड़ा मुद्दा नहीं ,नहीं इस पर तो सभी धर्मंआचार्यों की इस मसले पर तो बड़ी एकजुटता है सभी का मानना यही है की महिलाये घरो में घूंघट डाल कर रहे नहीं तो बुरका पहन कर रहे उनके बाहर निकलने से पूरी दुनियां में बवाल हो रहा है अभी ताज़ा -तरीन घटना मुस्लिम बैंड पर बैन करने के फतवे से जुड़ा है अल्लाह माफ़ करे भला मैंने तो यही कहते सुना की लड़कियों को कोई काम ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे किसी मर्द की नजर उस पर पड़े अजीब हाल है यह कबख्त मर्द क्यों नहीं आँख पर पट्टियाँ बांध कर चलते है ! सच अगर ऐसा हो जाये तो महिलाओ और लडकियों की आधी समस्या तो चुटकी बजाते ही हल हो जाएगी चलिए इतना लिख डाले मगर मुद्दा अभी भी मेरे समझ में नहीं आया की भला क्या हो !!!!!!!

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