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हे राजकुमार तुम मुंह खोलो !

सीधी बात
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भले ही कांग्रेस एक मुश्किल दौर से गुजर रही हो और जयपुर के चिन्तन शिविर में एक भावुक भाषण हुआ हो यह तो सच है कि राहुल इस समय इस तरह से चम्मचो के चक्रव्यूह में घिरे हुए है कि उन्हें अपने राजकुमार की छवि को तोडना बेहद कठिन कार्य लग रहा है वे युवा है और वास्तव में अगर उन्हें कुछ अलग कर दिखाना है तो सबसे पहले मंहगाई के महिषासुर से निबटना होगा उन्हें जनता के बीच अगर लोकप्रिय होना है तो सबसे पहले उन्हें उसकी चिंता करनी होगी | कहाँ गया वह युवराज जो सीधे जनता से संवाद करता था ? संवाद लोकतंत्र की पहली शर्त है फिर राहुल को यह नहीं भूलना चाहिए की राजे -रजवाड़े के विरुद्धकिसी समय स्व.इंदिरा गाँधी ने ही एक मुहिम छेड़ी थी तो राजकुमार के आवरण को उतार फेकिये क्योंकि हम एक लोकतान्त्रिक देश में रहते है आरोप -प्रत्यारोप तो चलता ही रहता है क्योंकि बोलने का अधिकार सभी को है फिर आप भी बोलिए जब तक आप बोलेंगे नहीं तब तक आपको लोग समझेंगे नहीं आपको खतरा जनता से नहीं आपके पिछलग्गुओं से है जो इस देश की सही तस्वीर को देखने नहीं दे रहे है आप कहते है ‘राजनीति’ जहर है |
जब भगवान शिव ने हलाहल पी लिया था तभी जा कर वे कल्याणकारी बने क्योंकि उन्हें अपने भक्तो से प्यार था अगर आप वास्तव में इस देश के लिए कुछ करना चाहते है तो आप भी इस जहर को अमृत समझ कर पीजिये हो सकता हो सकता है कुछ कल्याणकारी हो जाये विषधर तो वैसे भी आपके आस-पास घूमते रहते है उन्हें पहचानने का प्रयत्न कीजिये फिर भी हे, राजकुमार आप बोलिए ! क्योंकि संवाद से ही रस्ते खुलते है और नई राह मिलती है | भ्रष्ट्राचार हमारी राजनीति का मुख्य आधार बन चुका है सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि वास्तव में इस समय देश का शासन किसके हाथ में है यही भ्रम की स्थिति बनी हुयी है कहने को मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री है मगर उन्हें जनता ने नहीं चुना है ,सोनिया गाँधी अप्रत्यक्ष रूप से देश चला रही है क्या ऐसे में आप का मुखर होना जरुरी नहीं है ? आप युवा है जनता आपसे उम्मीद करती है और फिर इस समय तो आप अपनी पार्टी के महासचिव बन चुके है | मनमोहन सिंह एक कुशल अर्थ शास्त्री है इसलिए अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तन से आपका कोई सरोकार हो न हो फर्क नहीं पड़ता मगर प्रशासन में हस्तक्षेप जरुरी है देश की सुरक्षा से जुड़े फैसले में आप अहम भूमिका निभा सकते है इन सब बातो से इतर आप बोलने की आदत डालिए लगातार जनता को आपकी आवाज सुनाई पड़नी चाहिए |
बहुत से कड़े फैसले देश हित में लिए गए जो जरुरी थे उससे विपक्षी पार्टियों के पास जरुर मुद्दों की कमी हो गयी होगी मगर अभी भी घपले और घोटालों की लंबी फेरहिस्त है इसलिए बेहतर होगा कि आप संवाद कि प्रक्रिया शुरू कीजिये आपका बोलना देशहित में है | हे राजकुमार आप बोलिए !!!!!!

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