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उत्तर -प्रदेश की राजनीति का यह काला अध्याय

सीधी बात
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अखिलेश यादव ने जब यूपी का राज -काज संभाला तो एक उम्मीद जगी थी की युवा नेतृत्व में शायद यह राज्य कुछ प्रगति के रस्ते पर चल पड़े मगर यह तो मात्र दिवा स्वप्न साबित हुआ क्योंकि जिस प्रकार अपराधियों तथा माफियाओ को पद तथा शासन में जिम्मेदारी सौपी गयी उसने यह सिद्ध कर दिया की इस प्रदेश का तारनहार कोई नहीं है |इसे गुंडाराज नहीं कहे तो क्या कहे जिसमे एक डी एस पी की जिस तरह नृशंस सरेआम हत्या कर दी गयी वह यह सिद्ध करने के लिए काफी है की हालत बद से बदतर है जहाँ पुलिस महकमा ही इन अपराधिक छवि के नेताओ के गुंडागर्दी का शिकार बन जाये उस राज्य का भगवन मालिक है | कहाँ है मुलायम सिंह यादव किस बच्चे के हाथ में शासन की डोर थमा दिया है ? आप से राज्य तो संभाल नही रहा है आप प्रधान मंत्री पद की दौड़ में लगे है ? पहले अपराधियों को संरक्षित करना बंद कीजिये बहुत कमा खा चुके कितना लूटेंगे इस प्रदेश को जरा भी नैतिकता बची है तो न्याय करिए उस बेवा के साथ जो आज अकेले अपने पति के लाश पर बैठ कर मातम मना रही है | कानून व्यवस्था को आप नेता लोग जेब में रख कर घूमते है | आखिर किस ढंग से राज -काज चलाया जा रहा है ? उत्तर -प्रदेश आज जिस मुकाम पर खड़ा है उसकी जिम्मेदारी किसकी है जिस किसी का भी शासन हो उसने इस प्रदेश को लूट कर रख दिया आज यह प्रदेश अपने होने का अर्थ खोज रहा है सिर्फ इस्तीफा दे देना किसी समस्या का समाधान नहीं है सवाल है की इस शख्स का जब छवि ही अपराधिक है तो ऐसे लोगो को शासन -प्रशासन में भागीदारी का मौका ही क्यों दिया जाता है आखिर कौन सा दवाब है जो ऐसे लोगो को जिम्मेदारी देने को को मजबूर करती है | बेहद शर्मनाक तथा ख़राब और लचर व्यवस्था है इस प्रदेश की उसे सुधरने का प्रयास कीजिये वर्ना आप मुंगेरीलाल के हसीन सपनो में खोये रहेंगे और मुख्यमंत्री पद से भी हाथ धो बैठेंगे यह पब्लिक है सब जानती है समय रहते सजग बनिए |

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