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रधिया की बेटी (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर )

सीधी बात
सीधी बात
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रधिया मात्र काम वाली नहीं ,मेरे घर का जरुरी हिस्सा है |
शराबी पति के करतूतों से तंग है ,बेटी उसकी पढ़ -लिख ले बस
इसलिए जिन्दगी से उसकी जंग है |
खेल ,खिलौने ,गुडिया और फूलो के गहने
रधिया की बेटी बस इससे ही बहले |
पढ़ती -लिखती नहीं माँ का बस यही रोना है
एक दिन उसको मैंने टोका ,खेलने से रोका
तेरी माँ कितना खटती है ,तब कही जा कर
उसे दो वक्त की रोटी मिलती है ,तू क्यों नहीं पढ़ती?
शिक्षा से होने वाले फायदे गिना रही थी |
बड़े आदमी बनने का रास्ता दिखा रही थी
उस मासूम का जवाब सुन कर मै हैरान रह गयी !
पढ़ -लिख कर क्या होगा ,दस नम्बर बंगले वाली बीबी जी
आफिस जाती है ,ढेर सारा पैसा कमाती है |
मगर उनका बेटा कल गार्डेन में रो रहा था |
क्योकि उसके पापा ने रात पार्टी खत्म हो जाने के बाद ,
मम्मी को शराब के नशे में खूब पीटा था |
रधिया की बेटी हमारे सभ्य समाज की कलई ,
खोल रही थी मै अंतर्राष्ट्रीय महिला -दिवस पर
महिलाओ की मूक वेदना को सुन रही थी |

विश्व महिला दिवस के ऊपर पहले की लिखी एक कविता मै फिर से इस मंच पर प्रस्तुत कर रही हूँ आशा करती हूँ आप सभी को पसंद आएगा |

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