Menu
blogid : 1448 postid : 354

सतत प्रवाहित यह विचार

सीधी बात
सीधी बात
  • 103 Posts
  • 764 Comments

मनुष्य सबसे विवेकशील प्राणी है इसलिए विचारो का सतत प्रवाह होता रहता है सोचिये हममे से कितने लोग अपने मन में चलने वाले विचार के इस प्रवाह को सकारात्मक रूप में देख पाते है आप अगर जरा भी समझदार है तो इन विचारो को सकारात्मक रूप में देखना शुरू कीजिये दरअसल यह एक प्रकार का अभ्यास मात्र है की हम हर बात में हर व्यक्ति तथा अपने आस -पास घटने वाली घटनाओ को सकारात्मक रूप में देखना शुरू करे इसके लिए माहौल बनाने मात्र की देरी भर है जो लोग जीवन में अपार दुःख या कठिन परिस्थितियों को झेलते है उन्हें हर व्यक्ति या कार्य में कमी तथा सभी बातो में मीन-मेख निकलने की आदत सी पड़ जाती है इन्हें हमेशा पानी का गिलास आधा खाली दिखाई देता है | जबकि जिन लोगो ने जीवन को एक चुनौती की तरह लेना सीख लिया है उन्हें गिलास आधा भरा हुआ दिखाई देगा यही कारण है कि ऐसे लोग जिन्दगी को जीना सीख लेते है ऐसा नहीं की मै स्वयं कोई ऋषि ,मुनि या साध्वी हूँ मै तो स्वयं इस बात का प्रयत्न करती हूँ कि प्रभु , मेरे विचारो का शुद्धिकरण करो !क्योंकि हर मनुष्य हमेशा लोगो के अंदर चाहे परिस्थितियों में कमी निकालकर नकारात्मक विचार को प्रमुखता देता है ऐसे में यह सिर्फ हमारा आपका नहीं हर प्राणी का यह कर्त्तव्य बनता है कि वह हर बात के सकारात्मक कारण को ढूंढे कहते है कि जब भगवान राम चौदह वर्षो के लिए बनवास को गए तो उसे भी मान लिया गया कि चूँकि रावण जैसे अधर्मी का नाश करना था इसलिए राम को बनवास मिला अर्थात हमारे वेद -पुराण में भी हर बात को लोगो की भलाई से जोड़ कर देखने का प्रावधान है | आप जब भी किसी मन्दिर या चर्च या किसी भी धर्म के पूजा या इबादत करने की जगह पर जाये वहां एक अजीब सी शांति और सुकून का माहौल रहता है थोड़ी देर के लिए भी इन स्थानों पर जाने से मन को शांति मिलती है क्योंकि इन स्थानों पर सभी एक याचक के रूप में आते है उस सर्वशक्तिमान प्रभु से अपने लिए थोड़ी सी ख़ुशी और अपनी प्रगति के लिए प्रार्थना करके लगता है कि कोई तो है जिससे हम अपनी मन की बात कह सकते है भले ही इन पत्थर की मूर्तियों से कोई जवाब न मिले मगर हर दुखी आदमी जी खोल कर अपनी बात कह कर हल्का हो जाता है | दूसरी जो बात वह है कि जब आप इन जगहों पर इक्कठे होते है तो करीब -करीब हर किसी के मन में एक ही प्रकार कि भावना होती है तो जब एक साथ कई लोगो कई भावनाए एक साथ जुडती है तो वातावरण में एक प्रकार से सामान रूप से विचार घूमने लगते है और यही विचार जब ढेर सारे लोगो के मिल जाते है तो पूरा माहौल सकारात्मक हो जाता है और इसीलिए इन जगहों का निर्माण होता है ताकि हर मनुष्य अपने रोज के काम-काज में से थोडा सा समय निकाल कर अपने को शुद्ध करे और भगवान के चरणों में स्वयं को समर्पित करे ताकि उसके नकारात्मक विचार शुद्ध हो सके और वह सकारात्मकता के साथ अपने जीवन को जी सके और अपने आस-पास के माहौल को भी सकारात्मक तथा जीवंत बना सके |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh