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रंग हमारे मन का उत्सव है

सीधी बात
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होली का पर्व नजदीक आ रहा है कितनी विविधता से भरा हुआ देश है हमारा यहाँ सुप्तावस्था का कोई स्थान नहीं है हमेशा खुश रहो चैतन्य रहो अपने आपको जीवन के सरोकार से जोड़े रखो यह जीवन मिला है उसका उत्सव मनाओ सामूहिक तौर पर मनाओ तरह -तरह के त्यौहार भांति -भांति के रस्म रिवाज ताकि जीवन सदा चलता रहे क्योंकि चलते रहने का नाम जीवन है | होली रंगों का पर्व है रंग हमारे मन और हमारे परिस्थितियों का सूचक है जहा लाल रंग उर्जा तथा उत्साह को प्रदर्शित करता है वही पीला रंग सुख तथा समृधि तथा हरा रंग सुख संतोष तथा हरी -भरी धरती को बताता है तो गुलाबी रंग प्यार तथा एकता और विश्वास का रंग है गहरा नीला रंग ऐश्वर्य तथा गहन आध्यात्मिकता का द्योतक है हल्का आसमानी रंग स्वछन्द तथा उन्मुक्तता का परिचायक है इन सब से अलग एक रंग श्वेत का है जो अपने में सभी रंगो को समाहित करके श्वेत बन जाता है यह रंग है शांति का आध्यात्मिकता का परम सत्य है श्वेत रंग | इतने रंग इतनी विविधता और कही देखने को नहीं मिलता जो हमारे   देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इस रंग के त्यौहार को कभी किसानो का देश रह चुका भारत बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाता था औद्योगिकरण के कारण यह पर्व मात्र रस्म अदायगी तक ही निभाने को रह गया है जाती हुयी सर्दी तथा बसंत के बाद जब हल्की गर्मी का आगाज़ होता है तो फसलो के आने के उपलक्ष्य के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है | सदियों पुरानी परम्परा रही है जबकि राधा -कृष्ण भी होली खेलते थे | बचपन की होली बहुत अच्छी होती थी हम सभी बच्चे आपस में खेलते थे फिर होली खेलते कितनी दूर तक निकल जाते थे ! याद करो तो लगता है कि क्या समय था कोई डर -भय नहीं बिलकुल बिंदास ,बेबाक तरीके से हम सभी यह उत्सव मनाते थे बड़ा घर भरा -पूरा परिवार तरह -तरह कि मिठाइयाँ ,गुझियाँ तब यह त्योहार अच्छा लगता था शादी के बाद भी उतना ही बड़ा परिवार मिला हाँ घर कि सबसे छोटी बहू होने का एक ही फायदा था कि बड़ी भाभियों के जिम्मे ज्यादा जिम्मेदारी होती थी मुझे तो आश्चर्य होता था कि किस तत्परता के साथ मेरी जिठानी चिप्स ,पापड़ और इतनी तरह की नमकीन और गुझियाँ बना डालती थी रात देर तक जग कर सभी के साथ मिल कर काम में हाथ बंटाना सुबह-सवेरे सभी का आना- जाना दिन भर की गहमा -गहमी सच पूछा जाये तो त्योहार का मतलब ही है ढेर सारे लोगों के साथ मिल कर खुशियाँ मनाना सोचिये इस पर्व -त्यौहार के बहाने हम आपस में मिलते -जुलते है एक दुसरे के घर आते -जाते है वरना हमारी जिन्दगी कितनी नीरस और ऊब भरी रहती आज भी इन छोटे बच्चो को पानी का गुब्बारा लिए एक -दूसरे पर फेंकते हुए देखना अच्छा लगता है इन सभी को देख कर लगता है कि त्यौहार अभी अपना अर्थ नहीं खो पाए है अभी भी हमारे जीवन में इन बच्चो ने ढेर सारा रंग भरा हुआ है | एक जरुरी बात जो आज के सन्दर्भ में बहुत जरुरी है वह है सूखे से महाराष्ट्र के कई राज्य जूझ रहे है ऐसे में पानी का कम से कम इस्तेमाल करके जहाँ तक हो सके सिर्फ अबीर -गुलाल से ही होली खेलने का प्रयत्न किया जाये क्योंकि पानी की कमी हर स्थान पर होने लगी है ऐसे में ज्यादा जरुरी है की निजी स्तर पर यह प्रयत्न किया जाये कि पानी को बचाया जा सके |
अंत में होली कि ढेर सारी शुभकामनाओ के साथ आप सभी की होली मंगलमय तथा सुखमय हो !!

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