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धारणा और विश्वास

सीधी बात
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धारणा यह एक ऐसा भाव जो हम किसी के प्रति बना लेते है जैसा की एक धारणा है कि महिलाये कमजोर है ,अशक्त है जबकि यह एक धारणा है वास्तव में ऐसा नहीं होता महिलाये बेहद सक्षम तथा शक्तिशाली और कर्मठ होती है उनके लिए विपरीत परिस्थितियों में भी कार्य करने की तथा धैर्य बनाये रखने की स्वभाविक प्रवृत्ति होती है | धारणा से जुड़ा हुआ एक भाव पूर्वाग्रह का है एक प्रकार की समझ हमारे अन्दर विकसित हो जाती है और हम मान कर चलते है कि किसी व्यक्ति या समुदाय में कुछ खामियां या खराबियाँ है तो उसका कारण है कि यह प्रवृत्ति तो उनके अन्दर पाई ही जाती है यह धारणा हम बना लेते है जबकि हर व्यक्ति परिस्थितियो , माहौल तथा उस समय कि हालात और अपनी मानसिक रूप से चलने वाले अन्तर्द्वन्द के कारण बहुत से ऐसे काम करता है जो बहुत से लोगो कि नजरो में सही नहीं होता मगर मात्र इस कारण किसी के प्रति अपनी राय बना लेना पूर्वाग्रह से ग्रसित होता है | वर्तमान दौर में सुख सुविधाओ कि बाढ़ आई हुयी है विलासिता के सारे साधन मौजूद है उसके बावजूद हर व्यक्ति पहले कि अपेक्षा कही ज्यादा परेशान तथा सुख की तलाश में है वजह क्या है ? अगर पैसे तथा रूपये से सुख के सारे साधन ख़रीदे जा सकते तो फिर तो किसी को भी असुविधा या परेशानी होनी ही नहीं चाहिए थी मगर यह धारणा हमारी पूर्वाग्रह से ग्रसित है इसलिए पैसे से सुख नहीं ख़रीदा जा सकता यह धारणा पूरी तरह से गलत है अर्थात किसी भी बात या नियम को ले कर बनाये धारणाओं में परिवर्तन होता रहता है क्योंकि परिवर्तन ही तो प्रकृति का नियम है तो जहाँ सब कुछ परिवर्तन शील हो वहां धारणाये भला कैसे अपरिवर्तनशील हो सकती है इसलिए किसी भी व्यक्ति या संप्रदाय को ले कर पूर्वाग्रह पालना ठीक नहीं है |
विश्वास इस बात को ले कर भी अक्सर लोग चर्चा करते है कि किसी पर भरोसा करना या विश्वास करना किस हद तक ठीक है पति -पत्नी के रिश्तो की नींव ही विश्वास के धरातल पर होता है ऐसा नहीं की विश्वास कोई घुट्टी है जिसे पानी में घोल कर पिला दिया जाये दरअसल सबसे पहले अपने आप पर भरोसा करना विश्वास करना जरुरी है क्योंकि मानव जीवन का अर्थ ही है कि हम सब किसी बहुत बड़े उद्देश्य के कारण यहाँ पर आये है और वह उद्देश्य है कि मानवीय मूल्य कही से भी क्षतिग्रस्त न हो मानवता कही से भी तार -तार न होने पाए इसी मानवीय मूल्य को बचाना ही सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए विश्वास कि डोर पतली होती है इसलिए इस धागे को मजबूती से पकड कर रखना चाहिए अपने व्यक्तित्व को विश्वसनीय बनाना हर व्यक्ति का प्रथम कर्त्तव्य होता है धारणा और विश्वास में मूलभूत अंतर यही है कि धारणाये परिवर्तित होती रहती है मगर विश्वास परिवर्तित नहीं होता यह सनातन सत्य है जो अनादिकाल से चला आ रहा है | विश्वास की ताकत इतनी बड़ी होती है कि आप यदि उस पर अमल करे तो बड़ी से बड़ी समस्या को पलक झपकते सुलझा लेंगे मगर इसके लिए जरुरी है कि विश्वास की नींव मजबूत हो आपसी समझ तथा तारतम्य का दायरा बढाया जाये |

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