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छत्तीसगढ़ में जिस तरह नियोजित तरीके से नक्सलवादी हमले को अंजाम दिया गया उस पर भले ही लोगो की प्रतिक्रियाये हर तरह की आ रही हो मगर यह तो स्पष्ट है की यह समाज से कटे हए उन लोगो के द्वारा किये जाने वाली वह भयानक त्रासदी है जिसकी जितनी भी निंदा की जाये वह कम है | यह घटना दर्शाती है कि किस तरह से यह देश अन्दर ही अन्दर अपने ही लोगो द्वारा वर्ग -भेद तथा असमानता से जूझ रहा है | यह घटना किसी राज्य विशेष यह जगह विशेष की न हो कर एक बंटते हुए समाज की टूटती हुयी आस है जिसमे आदिवासी तथा पिछड़े हुए और गरीब तथा जबरन कब्ज़ा जमाये हुए जंगल तथा भूमाफियाओ के सताए हुए गरीबो को अपने साथ मिला कर उन्हें नक्सलवादी अपनी मांगों की पूर्ति के लिए एक ढाल बना कर इस्तेमाल करना सीख गए है | जो लोकतान्त्रिक मूल्यों पर भरोसा ही न रखते हो उन्हें लोकतंत्र का खून करने में भला क्या गुरेज हो सकता है ? इस तरह के लोगो से निबटने के लिए उस राज्य के पुलिस तथा सुरक्षा व्यवस्था को बहुत मजबूत करना बेहद जरुरी है सबसे बढ़ कर विकास का कार्य इन स्थानों पर उस तरह से नहीं हो पाए है जो बहुत आवश्यक है | यह एक बेहद शर्मनाक और हैरान कर देने वाला कठोर सत्य है कि इस देश में आज भी विकास और सुरक्षा को सीमाओ में बांध दिया गया है झारखण्ड हो या छत्तीसगढ़ जो आदिवासी बहुल क्षेत्र है सरकारी स्तर पर विकास के कार्यो ने सरकारी फंड के दुरूपयोग का जो नमूना पेश किया है उसीकी परिणिति है नक्सलवाद का जन्म कुदरत ने सबसे ज्यादा मेहरबानी इन राज्यों या क्षेत्रो पर की है मगर जंगल माफियाओ से लेकर हर स्तर पर यहाँ के भोले -भाले आदिवासियों को या तो सरकार के नुमा इंदो ने लूटा या फिर जंगल माफियाओ ने , यह समस्या सिर्फ जटिल और भयानक ही नहीं दिल्ली में भरपूर सुरक्षा में बैठी सरकार को भी समझना होगा कि किस तरह से नक्सलवाद ने सुरक्षा को लेकर खूनी खेल खेला है | यह समय दोषारोपण या आरोप – प्रत्यारोप का नहीं है यह समय है कि योजना बनाई जाये ,पुलिस फ़ोर्स को ट्रेंड किया जाये यह एक सभ्य समाज में अपना भरोसा खोये हुए ,भटके हुए लोगो का कभी सुरक्षा तन्त्र में लगे हुए जवानो के साथ लिया जाने वाला प्रतिशोध है , तो कभी उन नेताओ के साथ जो लोकतंत्र में तो भरोसा रखते है मगर उसका कोई लाभ उस राज्य को सीधे नहीं मिल पा रहा है जिसके वह हक़दार है यह एक बहुत बड़ी तथा विकराल समस्या बन कर सामने आई है इससे निबटने का भरपूर प्रयास सिर्फ राज्य स्तर पर ही न हो बल्कि केंद्र भी इसमें दखल दे क्योंकि यह हमला केंद्र सरकार के सत्ताधारी नेताओ पर करके अपनी बढती और बेख़ौफ़ शक्ति का परिचय दिया है नक्सलवादियो ने यह जान कर ही रूह कांप जाती है कि यहाँ के आम लोग भला किस प्रकार से जीवन यापन कर रहे होंगे ?| सुरक्षा तथा विकास और नक्सलवाद को समझना इन सभी बातो पर ध्यान देना होगा बेहद तकलीफदेह तथा अफसोसजनक है कि किस तरह से नक्सलवादियो ने कुछ लोकतंत्र के पहरुओ को आसानी से निशाना बना कर अपनी घृणित तथा असमाजिक मनोवृत्ति का परिचय दिया है हमारी हार्दिक संवेदनाये उन मृतात्माओ के प्रति !
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